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व्यापारी का दुःख / कात्यायनी
Kavita Kosh से
उसका वह
मोलभाव नहीं कर सका।
चकित था
तमाम चीज़ों के बीच
उसे पाकर।
विनिमय करता भी तो
किस चीज़ से?
-सोचता रहा
और डण्डी मारता रहा।
रचनाकाल : मई, 2001