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शर्त / केदारनाथ अग्रवाल

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यदि तुम जीवन के सागर की छापामार लहर हो कोई

तब तुम अपने जीवित जल से

आड़े आए हुए किसी भी प्रतिरोधी को टक्कर दे कर

हटा सकोगे और लक्ष्य तक पहुँच सकोगे अपने मन के

वरना तुम को ध्वंस करेगा वह प्रतिरोधी अपने बल से

और तुम्हारी छोटी सत्ता को बिखरा देगा बूंदों में

केवल बुदबुद करते रह कर जिया करोगे सिसकी लेते

अपने प्रतिरोधी के चरणों को पखारते

बहुत दिनों तक--बहुत दिनों तक ।