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शहर में साँप / 12 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

साँप ने
आदमी केॅ जहर देने रहै उधार
मांगतै रहलै साँप बार-बार
आदमी आय तक
नै लौटलकै ओकर उधार

अनुवाद:

साँप ने
आदमी को जहर दिया उधार
माँगता रहा साँप बार-बार
आदमी ने आज तक
नहीं लौटाया उसका उधार