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शहर में साँप / 23 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप ने कहलकै
आदमी केॅ आवै के पैहले
ऊ समेझ जाय छै
किये कि ओकर
तलवे के आहट में भी
जहर बोलै छै।
अनुवाद:
साँप ने कहा
आदमी के आने से पहले
वह समझ जाता है
क्योंकि उसके
तलवे की आहट में भी
जहर बोलता रहता है।