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शह्‌र-ए-याराँ / अली सरदार जाफ़री

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जिस पे नाज़िल हो रहा है अब मशीनों का अज़ाब
नग़्मः-ए-शाइस्तगिए-दस्तकाराँ था ये शहर

ख़ाके-दिल उडती है अब जिस तरह पर्वानों की ख़ाक
सुब्‌हे-गुल, रोज़े-तरब, शामे-बहाराँ था ये शहर

कौन है फ़रियादरस, माँगेंगे किससे ख़ूँबहा<ref>मृत्यु के बदले लिया जानेवाला मूल्य</ref>
ज़ेरे-पाए-नख़्वते-आदम-शिकाराँ था ये शहर

तौक़े-ज़रीं<ref>सोने के जडा़ हुआ तौक़[कैदी के गले में पहनाई जाने वाली लोहे की हँसली]</ref> गर्दने-ख़र में नज़र आता है आज
कल तलक जौलाँगहे-चाबुक-सवाराँ<ref>तेज़ रफ़्तार घोड़ों पर सवारी करने वाला</ref> था ये शहर

शब्दार्थ
<references/>