भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिमला की सड़कें / सुदर्शन वशिष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक
शिमला की ठण्डी सड़कें
कभी हुआ करतीं थीं सुनसान
मिल जाता जहाँ
इक्का दुक्का प्रेमी जोड़ा
आहट से उड़ते पक्षी
अब उड़ते हैं आकाश में
कब आहट हटे
वे नीचे आएँ।

दो

दूर दूर तक मशहूर थीं
शिमला की ठण्डी सड़कें
प्रेमिका गातीः
सोहणी सोहणी शिमले से सड़का ज़िन्दे................
...........काली घघरी लओयाँ हो...................।

तीन

पक्की मजबूत और चिकनी
हुआ करतीं थीं
शिमला की सड़कें
जिन पर फिसलते मन
और गाड़ियाँ
अब मन डोलने लगे और गाड़ी लगे खड़खड़ाने
समझो शिमला आ गया।