शुबेर्तियाना / टोमास ट्रान्सटोमर
एक
न्यू यार्क से बाहर एक ऊँची जगह पर
जहाँ से एक ही निगाह में आप पहुँच जाते हैं
उन घरों के भीतर
जहाँ रहते हैं अस्सी लाख लोग
विशाल शहर के पार तक
वहाँ एक लंबा चमकीला बहाव है -
दिखाई देती है
एक छल्लेदार आकाशगंगा
जिसके भीतर
मेजों पर खिसकाए जा रहे हैं काफी के मग
दुकानों की खिड़कियों की गुहार
और बेनिशान जूतों का गुजर
ऊपर को चढ़ती लपकती भागती आग
स्वचालित सीढ़ियों के खामोश द्वार
तीन तालों वाले दरवाजों के पीछे उमड़ता
आवाजों का हुजूम
एक दूसरे से जुड़ी कब्रों-से भूमिगत रेल के डिब्बों में
एक दूसरे पर लदे
ऊँघते बदन
मैं जानता हूँ इस जगह की यह सांख्यिकी भी
कि इस एक पल
वहाँ कहीं किसी कमरे में
बजाया जा रहा है शुबेर्त संगीत
और वह जो बजा रहा है इसे
उसके लिए तो बाकी की हरेक चीज के बरअक्स
कहीं अधिक वास्तविक हैं
उसके सुर
दो
दूर तक फैले वृक्षविहीन मैदानों-से मानवमस्तिष्क
इतनी बार मोड़े और तहाए जा चुके हैं
कि समा जाएँ एक मुट्ठी में भी
अप्रैल में एक अबाबील लौटती है
अपने पिछले बरस के घोंसले की तरफ
ठीक उसी छत के तले
ठीक उसी दाने-पानी तक
ठीक उसी कस्बे में
सुदूर दक्षिण अफ्रीका से वह उड़ती है
दो महाद्वीपों को पार करती
छह हफ्तों में
पहुँचने को
भूदृश्य में खोते हुए ठीक इसी बिंदु तक
और आदमी जो इकट्ठा करता है
जीवन भर से आए संकेतों को पंचतारवाद्य साजिंदों के
मामूली तारों में
वह जिसे मिल गई है एक नदी सुई की आँख में से गुजार पाने को
औरों से घिरा बैठा एक नौजवान आदमी है
उसके दोस्त पुकारते थे उसे `मशरूम` कहकर
जो चश्मा पहने ही सो जाता था
और हर सुबह नियम से खड़ा दिखाई देता था
अपनी लिखने की ऊँची मेज पर
जब उसने यह किया
कि अद्भुत अष्टपाद रेंगने लगे पन्ने पर
तीन
पाँच साज बजते हैं
गर्म लकड़ियों के बीच से मैं घर लौटता हूँ
जहाँ मेरे पाँवों के नीचे पृथ्वी किसी स्प्रिंग-सी महसूस होती है
गुड़ीमुड़ी किसी अजन्मे बच्चे-सी
नींद में
निर्भार लुढ़कती भविष्य की ओर
अचानक मैं जान जाता हूँ
कि पेड़-पौधे भी कुछ सोचते हैं
चार
जिए हुए हर पल में हम कितना विश्वास रखें!
कि गिरें नहीं धरती से
चट्टानों से उल्टी लटकती बर्फ पर विश्वास रखें
विश्वास रखें अनकहे वादों पर
और समझौते की मुस्कानों पर
विश्वास रखें कि टेलीग्राम जो आया है उसका हमसे कोई संबंध नहीं
और यह भी कि हमारे अंदर
कुल्हाड़ी के प्रहार-सा औंचक
कोई आघात नहीं लगा
गाड़ी के उस घूमनेवाले लोहे पर विश्वास रखें
जिस पर सवार हो
हम सफर करते हैं लोहे की तीन सौ गुना बड़ी मधुमिक्खयों के
झुंड के बीच
लेकिन यह सब उतना कीमती नहीं
जितना कि वह विश्वास जो हमारे पास है
पाँच तारों वाले साज कहते हैं
हम किसी और चीज को विश्वास में ले सकते हैं
और वे हमारे साथ सड़क पर घूमते हैं
और जब बिजली का बल्ब सीढ़ियों पर जाता है
और हाथ उसका अनुसरण करते हैं उस पर विश्वास करते हुए
रेल की पटरियों पर दौड़ती हाथगाड़ी की तरह
जो अँधेरे में अपनी राह तलाश लेती है
पाँच
हम सब पियानो के स्टूल के गिर्द इकट्ठे हैं और बजा रहे है उसे
चार हाथों से आइने में देखकर
एक ही गाड़ी को चलाते दो ड्राइवरों की तरह
यह थोड़ा बेहूदा दीखता है
यह ऐसा दीखता है जैसे हमारे हाथ आवाज से बने भार को
एक दूसरे के बीच अदल-बदल रहे हों
इस तरह जैसे असली वजन को साधा जाता है
किसी बड़े तराजू का संतुलन बनाने को
हर्ष और विषाद का भार बिल्कुल एक-सा है
एनी ने कहा - 'यह संगीत एक शानदार गाथा है'
वह सही कहती है
लेकिन वे जो इसे बजाते हुए आदमी को देखते हैं
ईर्ष्या के साथ
और खुद की प्रशंसा करते हैं हत्यारा न बनने के लिए,
नहीं खोज पाते खुद को इस संगीत में
वे जो खरीदोफरोख्त करते हैं दूसरों की
और मानते हैं कि हर किसी को खरीदा जा सकता है धरती पर
खुद को यहाँ नहीं पाते
यह उनका संगीत नहीं
वह लंबी सुरीली धुन जो बच जाती है इसके सभी रूपाकारों के बीच
कभी चमकती तो कभी सौम्य
कभी रूखी और ताकतवर
घोंघे के चलने पर पीछे छूटी लकीर और लोहे के तार-सी
यह बेकाबू सी गुनगुनाहट सुनाई देती है
यह क्षण
जो हमारे साथ है
ऊपर को उठता किसी गहराई में।
शुबेर्तियाना - फ्रैंज शुबेर्त (1797-1828) द्वारा अविष्कृत संगीत। शुबेर्त एक आस्ट्रियन संगीतकार थे। सिर्फ 31 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया, लेकिन उनके 600 के लगभग गीतों ने उन्हें अपने वक्त के महान संगीतकारों में शुमार करा दिया। उपर्युक्त कविता उन्हीं की संगीतरचनाओं पर एक रहस्यात्मक लेकिन ऐंद्रिक काव्यात्मक प्रतिक्रिया है।
(अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य)