शेर-16 / असर लखनवी
(1)
वादे के दिन गुजर गये, फिर भी हैं मुंतजिर1
कुछ हमको इन्तिजार का आजार2 हो गया।
(2)
सिर्फ इसलिये कि दिलशिकनी3 न हो दोस्त की,
एहसान कर लिया है मैंने गवारा कभी - कभी।
(3)
रहा है साबिका4 गम से यहाँ तक, हमनशीं5 मुझको,
खुशी के नाम से भी अश्क आँखों में भर आते हैं।
(4)
सीख ले फूलों से गाफिल6 मुद्दआ -ए- जिन्दगी7,
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है।
(5)
यह भीगी रात और यह बरसात की हवाएं,
जितना भूला रहा हूँ, वह याद आ रही है।
1.मुंतजिर - इन्तिजार करने वाला 2.आजार - रोग, बीमारी 3.दिलशिकनी - दिल तोड़ना, रंज पहुंचाना 4.साबिका - सम्बन्ध, लगाव 5. हमनशीं - साथ बैठने वाला, मित्र सभासद, मुहासिब। 6.गाफिल - (i) असावधान, बेखबर (ii) संज्ञाहीन, बेहोश (iii) काहिल, आलसी 7. मुद्दआ-ए-जिन्दगी - जिन्दगी का मकसद