शेर-2 / असर लखनवी
(1)
इश्क है इक निशाते1-बेपायाँ2,
शर्त यह है कि आरजू न हो।
(2)
उन लबों पै झलक तबस्सुम3 की,
जैसे निकहत 4में जान पड़ जाये।
(3)
अहले-हिम्मत5 ने हुसूले-मुद्दआ6 में जान दी,
और हम बैठे हुए रोया किये तकदीर को।
(4)
उनके आने की बंधी थी आस जब तक हमनशीं7,
सुबह हो जाती थी अक्सर जानिबे - दर8 देखते।
(5)
उनपै हँसिये शौक से जो माइले9 - फरियाद10 है,
उनसे डरिये जो सितम11 पर मुस्कुराकर रह गये।
1.निशात - आनन्द, खुशी 2.बेपायाँ - जिसका अन्त न हो, असीम, बेहद
3.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कुराहट, मन्दहास 4. निकहत - खुश्बू, सुगन्ध
5.अहले-हिम्मत - साहसी, हिम्मती 6. हुसूले-मुद्दआ - उद्देश्य की प्राप्ति
7.हमनशीं - साथ बैठने वाला, मित्र 8.जानिबे–दर - दरवाजे की ओर
9.माइल - आसक्त, आशिक, प्रवृत्त झुकाव रखने वाला, आमादा
10. फरियाद - (i) सहायता के लिए पुकार, दुहाई (ii) शिकायत, परिवाद (iii) आर्तनाद, दुख की आवाज (iv) नालिश, न्याय याचना।
11. सितम - जुल्म, अत्याचार