भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शोकू के पास विदाई / एज़रा पाउंड
Kavita Kosh से
"शोकू के राजा साँसो ने सड़कें बनवाईं"
कहते हैं साँसो की बनवाईं सड़कें चढ़ाईदार हैं
खड़ी जैसे पहाड़ ।
दीवारें उठती हैं आदमी के चेहरे की तरफ़
बादल उगते हैं पहाड़ से
उसके घोड़े की लगाम तक
शिन के पक्के रास्ते पर महकदार पेड़ हैं,
उनके तने सड़क के पत्थरों को फोड़ कर निकले हैं,
और पहाड़ी नाले अपनी बर्फ़ से फूट रहे हैं
शोकू के बीचों-बीच, जो एक गर्वीला नगर है
इन्सानों का नसीबा पहले से तय हो चुका है,
ज्योतिषियों से पूछने की कोई ज़रूरत नहीं ।
(ली पो)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीलाभ