श्रीगनपति गुरु सारदा, बंदौं बारंबार।
परब्रह्मा के रूप सब भिन्न-भिन्न आकार॥
पुनि सुमिरौं गुरुबर चरन, वांछित-फल-दातार।
अति दुस्तर भव-सिंधु तें, जे पहुँचावहिं पार॥
श्रीगनपति गुरु सारदा, बंदौं बारंबार।
परब्रह्मा के रूप सब भिन्न-भिन्न आकार॥
पुनि सुमिरौं गुरुबर चरन, वांछित-फल-दातार।
अति दुस्तर भव-सिंधु तें, जे पहुँचावहिं पार॥