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सँधैभरि सम्झनामा राखिदिनू है / वीरेन्द्र पाठक
Kavita Kosh से
सँधैभरि सम्झनामा राखिदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
चैतको हुरीसरी आँधी चलिरह्यो
तर सम्झनाको बत्ती बलिरह्यो
माया किन लाग्यो कुन्नि बताइदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।
सजाएर तिमीलाई परेलीमा साँचूँ
भन तिमीलाई कहाँ लुकाएर राखूँ
एउटा पत्र गोधूलीमा पठाइदिनू है
सपनामा सँधैसँधै आइदिनू है।