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सच है / नील कमल
Kavita Kosh से
नहीं
यह ग़लत है
कि मैं समुद्र होना चाहता हूँ
ज्वार-भाटे की राजनीति
मैं नहीं चाहता
हाँ
यह सच है
कि समुद्र के बीच
ठीक उसके छाती पर
मैं टापू-सा खड़ा होना चाहता हूँ