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सड़क / अजित कुमार
Kavita Kosh से
पड़ी हुई है एक बेहया की तरह
--खुली, ठंडी, उदासीन ।
वेग और धमक ।
कितना शोर ।
कैसी चमक ।
--सबको सहती ।
अपने में लीन ।
एक वेश्या ।