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सन्नाटा क्या चुपके-चुपके कहता है / बशीर बद्र

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सन्नाटा क्या चुपके-चुपके कहता है
सारी दुनिया किसका रैन-बसेरा है

आसमान के दोनों कोनों के आख़िर
एक सितारा तेरा है, इक मेरा है

अंडा मछली छूकर जिनको पाप लगे
उनका पूरा हाथ लहू में डूबा है

आहिस्ता-आहिस्ता दिल पर दस्तक दो
धीरे-धीरे ये दरवाज़ा खुलता है

सूरज के घर से उसके घर तक जाना
कितना सीधा-सादा धूप का रस्ता है

सारी रात लिहाफ़ों में रोईं आँखें
सब कहते थे रिश्ता नाता झूठा है