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सपना / मन्त्रेश्वर झा

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लोकक रेलमपेल मचल छल
ओइ दिन बड़का रैली जुटल छल
घोषणा भेल छल जे महाप्रभु कें
थैली भेंट हेतनि
ओ वृद्ध मजदूर किसान सेहो अपन
जोगाओल एकटा रुपैया चंदा देने छल
घोषणा इहो भेल छलैक जे
ओइ दिन महाप्रभु सभकें भरि पेट
बँटथिन सपना
सभ लोक सपना समेटबा ले
उताहुल छल
महाप्रभु पाँच घंटा देरी सँ अयलाह
शुभ् कार्य मे देरी होइते छैक
अबिते देरी माइक पर गरजलाह
आ बाँट लगलाह
सभकें मनवांछित सपना
ककरो नोकरी, ककरो घर
ककरो इज्जति, ककरो न्याय
ककरो अस्पताल, ककरो दवाइ
ककरो किछु, ककरो किछु
आ सभ के सभ किछु मनवांछित
वृद्ध किसान समटय लागल सपना
झोरा - झोरी भरि गेलैक
तखन भरि लेलक सौंसे देह सपना
आँखि से भरि अयलैक नोर
धन्न बाबा बैद्यनाथ
ओ होइत रहल विभोर।
बड़ी राति घुरल समेटने भरि पाँज सपना
घर मे छोट छोट बच्चा
बिलबिलाइत रहैक
छटपटाइत रहैक भूख सँ।
बच्चाक माय
उधार देह सँ झंपने रहैक
बच्चा कें अपन छाती के छाता सँ
कोनहुना बचैत, चार सँ टपटप चुबैत रहैक पानि
किसान छल थाकल चूर
अबिते देरी पड़ि गेलैक नीन
घर घुरैत घुरैत
बिला गेल रहैक
सभटा समटल सपना
भोरका पहर मे देखलक
एकटा अजबे सपना ओ किसान
जे फोकट के सपना बिला
जाइत छैक ओहिना।
जे होइत छैक असली सपना
तकरा अरजय पड़ैत छैक,
छीनय पड़ैत छैक असली सपना।