भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपने-1 / सुरेश सेन निशांत
Kavita Kosh से
उन्होंने लोगों के मन में
भर दिया ढेर सारा भय
ढेर सारे काँटे बो दिए
नींद के पथ पर
जलते हुए अंगारों से भर दिया
शान्त नींद का बिस्तर
ताकि कोई सपना
न ले सके जन्म
लोगों की नींद में