रात भर महकती है रातरानी
झरते हैं हरसिंगार
पलते हैं दाने छीमियों में
सीपी के मन में उमड़ता है सागर
होता है जन्म
एक नये दिन का
रात भर महकती है रातरानी
झरते हैं हरसिंगार
पलते हैं दाने छीमियों में
सीपी के मन में उमड़ता है सागर
होता है जन्म
एक नये दिन का