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सफलता / सरोज कुमार
Kavita Kosh से
सफलता
जब चमकती है बिजली की तरह,
यश फ़ेल जाता है
खुशबू की तरह!
अखबार गाते हैं अफसाने
चारण की तरह!
औरतें मंडराती हैं!
तितलियों की तरह!
दोस्त घिर आते हैं!
बादलों की तरह!
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
हाजिर हुकम
प्रत्यक्ष
परोक्ष,
सफलता
सिद्धि का मर्म है,
कटघरे में कर्म हैं!