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सफल आदमी / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
यह औरत ही है
जो घर को सम्हाल कर रखती है
कहा उसने
यह औरत ही है
जो आदमी को उसकी मंजिल तक पहुँचाती है
कहा उसने
और
सामाने बैठी औरतों की
ज़ोरदार तालियों के बीच
वह उतर आया
मंच से आहिस्ते आहिस्ते
झूमते झूमते!!