भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सबसँ सुन्दर हिन्दुस्तान / चन्द्रमणि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सबहक मनमे सब रंग बात
जैटा मुखड़ा तै रंग गात
बहुतो फूल बहुत फुलबाड़ी
बनल कियारी छैक फराक
अपनहि धुनमे मगन रहै सब
तइयो सबहक एक्कहि तान
सबसँ सुन्दर हिन्दुस्तान।
मैथिल हो वा मद्रासी
बंगाली वा गुजराती
उर्दू पढू की पंजाबी
आसामी वा गोरखाली
अहाँ छोट छी तऽ नीक छी
आ‘ पैघ छी तऽ वाह
गरीब छी तऽ नीक छी
धनिक वाह-वाह
पढ़ऽल छी तऽ नीक छी
मुरूख छी तऽ वाह
किसान छी तऽ वाह
भगवान छी तऽ वाह
अहाँ जैह छी से नीक छी ष्
सब वाह-वाह
अरे वाह रे वाह
हे वाह वाह वाह
राखू एक बात केर सदिखन ध्यान
सबसँ सुन्दर हिन्दुस्तान।
जगतक गुरूकें अलगहि शान
ककरा ने ई देलक ज्ञान
गबिते शान्ति अहींसाक गीत
वंदनीय बनि बेल महान
अहाँ जानि लिअऽ मरम
ने रहू अकान सन
बुढ़ियाक बेटा जे चुल्हिन
चान सन
मरूआक रोटी पूरी पकवान सन
मकइक लावा फूटल मखान सन
थाल मखमल सन
जाल मलमल सन
पहिरिकऽ घुघरू चलै पवन
सनन सनन छननन छननन
छनमे पाथर बनै महादेव
अपने देष अछि तेहन महान
सबसँ सुन्दर हिन्दुस्तान
रणचण्डी छथि हमरहि माय
कहू मैथिली वा सीता
दुष्मनकें दी पाठ पढ़ाय
हमर वेद भगवद्गीता
हम वीर, अंगेजी बिपति बलाय
हम उड़ि-उड़ि अरिदल
पर चढ़ि जाय
एहि धरती ले’
देबहू ललचाय।
हम तिरबेनीमे नित्य नहाय
आउ हिलि मिलि भाय
ली देष सजाय
भैरवीक तरूआरि सहायक
खनन-खनन झननन-झन-न-न
कहू कथा कि देष सपूतक
जकर लक्ष्य मात्रहि बलिदान
सबसँ सुन्दर हिन्दुस्तान