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सब-कुछ तैयार है हमारे लिए / रुस्तम
Kavita Kosh से
धूप लौट रही है
स्वच्छ ओस की बूँदें
फिर चमकने लगी हैं
शान्त पेड़ों की चोटियों पर।
प्रसन्नमुख प्रेमी जोड़े
घंटों झुके बैठे रहते हैं
लाल ईंटों के चबूतरे पर
गर्म कॉफ़ी के प्यालों पर।
सब-कुछ तैयार है हमारे लिए
बस अब तुम्हारा लौटना बाक़ी है
उस अगम्य प्रदेश से
जिसने लील लिया है तुम्हें।