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सब दरवाज़े बन्द हैं / रुस्तम
Kavita Kosh से
सब दरवाज़े बन्द हैं।
दिन से भी बड़े शहर में
सब दरवाज़े बन्द हैं
मेरे लिए। एक आवाज़
जो पुकारती थी मुझे
किसी ज़माने में
थक कर सिमट गई है
किसी खिड़की के पीछे।
किस को कष्ट दिया है मैंने?
सब दरवाज़े बन्द हैं।
मुझे मिल रही है सज़ा
मेरे पापों की। सब
दरवाज़े बन्द हैं। यहाँ
कोई नहीं, कोई नहीं।
यहाँ कोई नहीं।