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सभ्यता / विमल कुमार
Kavita Kosh से
मैं सबसे पहले घड़ी था
फिर मछली बना
उसके बाद पेड़
पेड़ के बाद हुआ मनुष्य
मैं मनुष्य बनकर घड़ी का कान ऐंठने लगा हूँ
मछली खाने लगा हूँ
पेड़ काटकर
घर के लिए दरवाज़ा बनाने लगा हूँ
दरवाज़ा बंद कर
चेहर छिपाने लगा हूँ