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सभ किछु चिन्हार / मन्त्रेश्वर झा
Kavita Kosh से
भेल अनचिन्हार, छल तखन अपन गामटा
आब अछि चिन्हार बचल
मूल गोत्र नाम टा
नहिं स्वनाम धन्य क्यो
सभ स्वजाति धन्य धन्य
क्षत-विक्षत निर्मल जल
कौआ के नाम टा
कन्हा पर सूर्य उठा
चलल रही डगर मगर
चिन्हय नहि प्रकाश क्यो
पूछय बसदाम टा
आत्मा के दर्पण मे
विकृति सभ रूप रंग
छाहो तक खिहारत
से बूझल परिणाम टा
ओस सनर क्षणभंगुर
सुख बीछब आम भेल
धन्य नजरि धन्य बुद्धि
पीयल अपमान टा
कातिल फरिश्ता बनि
बाग करय जहर नित्य
खाद पानि बनल मनुख
हुलकय शैतान टा
अंइठल अभिमान लेल
भष्म कयल आनि ग्लानि
प्रायश्चित करबा ले
बचल परम धाम टा