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समझ मन अवसर बित्यो जाय / शिवदीन राम जोशी
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समझ मन अवसर बित्यो जाय |
मानव तन सो अवसर फिर-फिर, मिलसी कहाँ बताय ||
हरी गुण गाले प्रभु को पाले, अपने मन को तू समझाले |
जनम जनम का नाता प्रभु से, रह्यो किया बिसराय ||
उर अनुराग प्यार ईश्वर से, प्रेम लगाकर फिर कद करसे |
पता नहीं क्या होगा क्षण में, क्षण-क्षण राम रिझाय ||
रीझ जायेंगे हैं वो दाता, वह ही तो है भाग्य विधाता |
राम कृष्ण मन संत अचल का, रैन दिवस गुण गाय ||
यो अवसर चूके मत बंदा, चूक्याँ मिटे न भव भय फंदा |
कहे शिवदीन हृदय में गंगा, चलो गंग में न्हाय ||