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समय का सत्य / नीरज दइया
Kavita Kosh से
कभी कुछ लिखा
कभी कुछ लिखा
जो भी लिखा
समय का सत्य था
मैं था वहां
तुम थी वहां।
आज वह लिखा
है वहीं का वहीं
मैं नहीं वहां
तुम नहीं वहां।
समय का सत्य
बचा है स्मृतियों में!