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समुद्र - 3 / रुस्तम

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फिर एक दिन समुद्र कुछ भी नहीं था। तुमने उसे छुआ और
वह समुद्र में बदल गया। एक और दिन तुमने उसे फिर
छुआ। वह आग की तरह भभक पड़ा। तुम्हारी उँगलियों
पर उसे छूने का निशान था। फिर तुमने उस निशान को
भी छुआ। और समुद्र तुम्हारी उँगलियों में चला आया।