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सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी! / सतीश मिश्रा
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ढाहेला दहेज के देवार हे
सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी!
बेटी के मड़वा में मंगल कलस पर
बइठल हे नाग कुंडली मार हे-
सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी!
एक्के गो फुलवा के दुन्नो पँखुरिया-
काहे एक गुलाब, एक सेवार हे-
सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी!
बिना पुतोहिया के घर जो चले तो,
जी लेब हमनियों कुआँर हे-
सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी!
सोंचइ जा! हमनी ला बाबा के काहे
गोड़े-गोड़ झुकते लिलार हे-
सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी!
पढ़ब कमाएब, मिलजुल बसाएब
बेटी के दुनिआँ गुलजार हे
सम्हार चूड़ी चलऽ बहिनी!