सरकारी खेल / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
कहिने ऐसन खेल खेलै छै, पकड़ी-पकड़ी जेल भरे छै?
टिकट वाला धुकूर-धुकूर पर, साहब खातिर मेल चलै छै,
चोर उचक्का प्राइवेट लेकिन, सरकारऽ के तेल जलै छै,
कहिने ऐसन खेल खेलै छै, पकड़ी-पकड़ी जेल भरै छै?
बहाली ठक्कै केरऽ धंधा वेतन लागथौन रजनी गंधा,
सो-पचास के पोस्टल-ऑडर लंकं करै गोरख धंधा
जखनी चाहे केन्सील करथोन, यहा रकम फुलै फलै छै,
कहिने ऐसन खेल खेलै छै, पकड़ी-पकड़ी जेल भरै छै?
दसे हजार मेॅ पी.टी. पास, लोभे दै छी रही उपास
बेची-खोची तकदीर केॅ जाचौं समझी जूआ आरु तास,
झूठ-मूठ के मोबाइल पर फोन करी कं रोज छलै छै,
कहिने ऐसन खेल खेलै छै, पकड़ी-पकड़ी जेल भरै छै?
कोय काम नै बदली करथौन, कमियोॅ केॅ आवी घरथौन,
घुसऽ खातिर हाय पसारै, लै-दै मं लाजो नै करथोन,
आपनो-पराया कुछ नै बुझै, जे उ चाहै वहा चलै छै,
कहिने ऐसन खेल खेलै छै, पकड़ी-पकड़ी जेल भरै छै?
जे छीकै धरती के भार, होकरऽ तीलक तीस हजार,
चोर उचक्का बनी बराती, खान-पान मं करथौन मार,
बढका केॅ देखा देखी मेॅ, बेमतलब के बहू जलै छै
कहिने ऐसन खेल खेल खेलै छै, पकड़ी-पकड़ी जेल भरै छै?