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सरसों के तेल के पराँठे / पुरुषोत्तम प्रतीक

सरसों के तेल के पराँठे
अम्मा ने एक-सार बाँटे
पर छोटू रूठ गया
हिस्सा भी छूट गया
और मिले बदले में चाँटे

बापू ने देख लिया
अम्मा ने एक दिया
साथ-साथ हम सारे डाँटे

उस दिन दीवाली थी
लगती दोनाली थी
गुस्सैलू होते हैं घाटे


रचनाकाल : 01 फ़रवरी 1978