भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरस्वती वंदना / उमेश बहादुरपुरी
Kavita Kosh से
लाज हम्मर बचाले मइया हमरा वर दे
तुँही वीणापाणी मइया, तूँही शारदे
हमर मन के तार के दे आज झनकार
सुन ले मइया आज अपन बेटा के पुकार
सभे मनोकामना के माता पुराऽ दे
तुँही वीणापाणी मइया, तूँही शारदे
चाहिये न चाँदी-सोना ना तो हीरा-मोती
आज हमरा दे दे मइया अपन दर के ज्योति
जिंदगी ई भक्त के मइया तूँ सँवार दे
तुँही वीणापाणी मइया, तूँही शारदे
तोर शक्ति बनादे मइया बड़का फनकार
शरण पड़ल भक्त के तूँ मइया तार दे
तुँही वीणापाणी मइया, तूँही शारदे