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सर्वश्रेष्ठ मैं / सुरेन्द्र रघुवंशी

प्राणिशास्त्रियों के सजीव वर्गीकरण में
सबसे अधिक विकसित मस्तिष्क वाली
मानवजाति के अन्तर्गत आने वाला मैं
अपनी ही जाति में
श्रेष्ठता के दम्भ के स्तम्भ पर बैठा हूँ

मुझे ख़ुशी पाने के लिए
मनाना पडता है अपना जन्मदिन
बीच-बीच में त्यौहार मुझे
टुकड़ों में ख़ुशियाँ देते हैं

मुझे नफ़रत होती है
अपने बराबरी के क़द वालों से
मेरी ओर चले आते लोग
कचोटते हैं मेरी आत्मा को

मेरी सावधानी के दरवाज़े खोलकर
कोई नहीं आ सकता
मेरे भीतर छिपे शुतुर्मुर्ग तक

मेरी वक्र गति ही
मेरी सफलता का रहस्य है

मैं अपने शिकार का स्वाद जानता हूँ
और अक्सर बचता हूॅं शिकार बनने से