सहज-सौन्दर्य - लट छिटकल दू - चारि, सिंदूरी बिंदी भने
हँसि जगबय नव नारि, मनक भूख बिनु भूषने।।4।।
भूषण - पर शोीाा उपकारसँ जे अरजल तप योग
भूषित भूषन तकर फल तरुनी तन संयोग।।5।।
अंगुठी-नग - गोर-गोर आङुर उपर नग नीलम चमकैछ
अद्भुत! चंपा कली पर भ्रमर श्याम मड़रैछ!!6।।