राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बीरो म्हारो आयो ये म्हारी चन्द्र गोरजा कलश बधावो ये।
आज तो बीरासा म्हारे कांकड़ आय बिराज्या जी।
कांकड आय बिराज्या बीरासा ने ग्वाल्या बीर सरायो जी।
आज तो बीरासा म्हारा बागां आय बिराज्या जी।
बागां आय बिराज्या बीरासा ने साली बीर सरायो जी।
आज तो बीरासा म्हारा बागां आय बिराज्या जी।
पनघट आय बिराज्या जी पनघट की पनहारिया बीरो सरायो जी।
आज तो बीराजी म्हारा जयपुर आय बिराज्या जी।
जयपुर आय बिराज्या बीरासा ने महाजन खूब सराया जी।
आज तो बीरासा म्हारा चौखट आय बिराज्या जी।
चौखट का चोरसी म्हारो बीर सरायो जी।
आज तो बीराजी म्हारा पोल्यां मायं बिराज्या जी।
आज तो बीरासा म्हारा चानण चौक बिराज्या जी।
चानण चौक बिराज्या बीराा ने पंच सराया जी।
आज तो बीरा सा म्हारे मायरो लेकर आया जी।
नोमण मिसरी घोल बीरासा ने शरबत पावो जी।
बीरो म्हारो आयो ये म्हारी चन्द्र गोरजा...।