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सावन के आखिरी दिन / चित्रा गयादीन
Kavita Kosh से
घाम में गरम
चान में ठंडा
बैठल रहा समय
लपकाइके दुनो हाथ
हिलत-गिलत इक दुइ बात
मद्धिम आवाज के अक्षर
नरम सब्द के हलचल
पक्कल फल
मन महकल
छौंकल कमाड़ी
और तू
एतना दूर।