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सुनु सुनु जगदम्ब आहां हमर अवलम्ब / मैथिली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सुनु सुनु जगदम्ब आहां हमर अवलम्ब , आहां रहि जईयौ प्रेम के मंदिरवा में
फ़ूल लोढब गुलाब पुजा करब तोहार … आहां रहि जईयौ प्रेम के ….
कंचन धार मंगायेब, अमृत अल सजायेब मां के आगे लगायेब प्रेम के मंदिरवा में
सेवक कहथि करजोरी मईया विनती सुनु मोर आहां रहि…

यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से