सुनै सदा चाहे न कुछ, सहै सबै जो होय।
रहै एक-रस एक-मन प्रेम कहावत सोय॥
तन-मन-धन-अर्पण कियौ सब तुम पै ब्रजराज।
मन भावै सोई करौ हाथ तुम्हारे लाज॥
सुनै सदा चाहे न कुछ, सहै सबै जो होय।
रहै एक-रस एक-मन प्रेम कहावत सोय॥
तन-मन-धन-अर्पण कियौ सब तुम पै ब्रजराज।
मन भावै सोई करौ हाथ तुम्हारे लाज॥