भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुनो नवागत, सुनो नवागत / अभिषेक औदिच्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुनो! नवागत, सुनो! नवागत आने से पहले,
कुछ शर्तें हैं मेरी कलश गिराने से पहले।

गंतव्यों से पहले बातें मंतव्यों की हों,
यानी अधिकारों से पहले कर्तव्यों की हों।

सुख हो या फिर दुख हो दो से भाग किया जाए,
भोग परस्पर और परस्पर त्याग किया जाए।

विषम बाँटना होगा सम अपनाने से पहले,
सुनो! नवागत, सुनो! नवागत आने से पहले।

दुर्गम पथ पर कदम मिलाकर चलना भी होगा,
द्रव जैसे ढल जाता वैसे ढलना भी होगा।

प्रिय इक दूजे की हमको परछाई बनना है,
दो ईकाई मिलकर एक दहाई बनना है।

मेरा सुन लो अपना पक्ष बताने से पहले,
सुनो! नवागत, सुनो! नवागत आने से पहले।

कुल का मान बढ़ाने में भी भागीदारी लो,
जितनी मैं लूँ उतनी तुम भी जिम्मेदारी लो।

परंपराओं में भी यह शुभ परिवर्तन कर लें,
गठबंधन से पहले आओ मनबंधन कर लें।

यज्ञकुण्ड की परिक्रमा पर जाने से पहले,
सुनो! नवागत, सुनो! नवागत आने से पहले।