भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुराग के रास्ते / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
याद नहीं रहता भूगोल
जगहें याद नहीं आती
चेहरे तो बिल्कुल नहीं
इधर जबकि दीखती नहीं
जिंदा छवियां भी
मुर्दा प्रमाणों में खोजते हैं राम
और एक छोटे से सुराग के रास्ते
गर्व से उठा लेते हैं आसमान सिर पर
00