सूर्यस्नान / जोस इमिलिओ पाचेको / राजेश चन्द्र
वह सूर्यस्नान कर रही है निर्वस्त्र
किंचित ओट है
पत्तियों की उपस्थिति से।
सूर्याभिमुख वह अनावृत करती है अपनी देह,
अग्निवर्षा के बीच,
वह आच्छादित करता है उसे प्रकाश से।
पार्श्व में उसकी मुंदी पलकों के
शाश्वतता एक स्वर्णिम परिघटना बनती हुई।
प्रकाश अस्तित्वमान हुआ था
इसी देह की चौंध से
वही प्राणदायिनी उसकी।
पृथ्वी एक और दिन बची रहेगी
उसका धन्यवाद करने के लिये :
इस सबसे अनभिज्ञ,
वह सूर्य है साक्षात्
पत्तियों की फुसफुसाहटों के बीच।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र
लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी में पढ़िए
Sun Shower
The nude girl is sunbathing
barely covered
by the presence of the leaves.
She opens her body to the sun,
which, in a rain of fire,
fills it with light.
Behind her closed lids
Eternity becomes a golden instant.
Light was born so the sunburst of this body
Could give it life.
The earth lives one more day
thanks to her :
Without knowing it,
she is the sun
amid the whispering leaves.
(From City of Memory and other Poems)
Jose Emilio Pacheco