अभी अभी
हुलसकर सोई हैं
इन सांसों में स्वरलहरियाँ
अभी अभी
थक कर डूब गया है
इन पैरों में बेचैन सूरज
अभी अभी
इन होंठो में खिली है
एक ताज़ा कविता
अभी अभी
उगा है इन आंखों में
नीला चांद
अभी अभी
मिला है
मेरी उम्मीदों को
एक मज़बूत दरख़्त