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सौगात / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
सै बगत बगत री
बातां है,
दिन ओछा लांबी
रातां है,
जे पूरो नेह
नहीं भरसी,
दिवलै री बात
जळ मरसी,
ऐ माटी री
अपघातां है
सै बगत बगत री
बातां है।
विरहण आंसूड़ा
टळकासी,
अधबळ्या पतिंगा
रूळ ज्यासी,
ऐ साजन री
सौगातां है,
सै बगत बगत री
बातां है।