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स्काउट भाई / शिवराज भारतीय

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ना मैं केवल हिन्दू-मुस्लिम,
ना ही केवल सिक्ख ईसाई।
सब धर्मो को आदर करता,
मैं हूं नन्हा स्काउट-भाई।

सब जन मेरे मैं सब जन का,
शांति-प्रेम की चाह रही।
देश जाति और पंथ भेद की,
सीमाएं ना बांध सकी।
सेवा ही बस धर्म है मेरा,
हर मानव मेरा भाई।
मैं हूं नन्हा स्काउट भाई।

बीहड़ वन में शिविर लगाता,
तम्बू में ही रहता हूं।
जाग रात भर पहरा देता,
नही किसी से डरता हूं।
स्वयं पकाना मिलकर खाना,
मेरी कौम ने रीत बनाई।
मैं हूं नन्हा स्काउट भाई।

चाहे तपे जेठ की गर्मी,
या कंपवाए पोष की सर्दी।
आगे बढ़ते रहने की,
प्रेरक है मेरी स्काउट वर्दी।
कठिनाईयों में हंसते रहने,
की है मुझको सीख सीखाई।
मैं हूं नन्हा स्काउट भाई।