मछलियाँ
आँसू पीती हैं
फिर भी सागर का
खारापन कम नहीं होता
अनंतकाल से
मछुआरे
वंशी डाले बैठे हैं
कालातीत समय से
मछुआरे
जाल लिए फिरते हैं
विरह में फिर भी
मछलियाँ आँसू पीती हैं।
मछलियाँ
आँसू पीती हैं
फिर भी सागर का
खारापन कम नहीं होता
अनंतकाल से
मछुआरे
वंशी डाले बैठे हैं
कालातीत समय से
मछुआरे
जाल लिए फिरते हैं
विरह में फिर भी
मछलियाँ आँसू पीती हैं।