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स्पर्श / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
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मेरे हाथ
खोलते हैं
तुम्हारे अस्तित्व के पर्दे।
पहनाते हैं
नग्नता से परे का
परिधान।
उघाड़ते हैं
तुम्हारी देह के भीतर की
देहमालायें।
मेरे हाथ
अविष्कार करते हैं
तुम्हारी देह के लिए
एक दूसरी देह का।