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हँसी बिहनकी धूप / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
नूनू बूलै थुबुर-थुबुर
ताकै सबकेॅ मुलुर-मुलुर
पां पां करी बोलाबै जें
नेह प्यार दरसाबै जें
माय दादी लग आबै छै
सब के मन हरसाबै छै
कभी उठै छै, कभी गिरै छै
हँस्सी करी हँसाबै छै
सब अंदाज निराला होकरोॅ
सबके मोॅन लुभाबै छै
मारै, रही-रही किलकारी
जेकरा पर सब कुछ बलिहारी
खिल-खिल हँसी बिहानकोॅ धूप
लियोॅ हँसोती भर-भर सूप
छिकै जना पूनम के चान
मनमोहना कृष्ने भगवान