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हँसी में / पीयूष दईया
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जब कहीं न था मैं
उसके शरीर में धोखे के चिह्न कहीं न थे
वे हँसी में थे
जो मैं हँस रहा था
उसके दिल से
अपने तक आते
काट कर फेंक दिया
हँसी में धोखे के
दिल
तब कहीं न था मैं