हड़ताल / हरिओम राजोरिया
मान नहीं पाएँगे आप इसे हड़ताल
ये मतदान से पहले
होने वाले दिखावटी मतदान सरीखी है
हू ब हू है तो सही पर है नहीं हड़ताल
न पूर्व सूचना, न माँग-पत्र, न ज्ञापन
न भविष्य की कोई चिन्ता
न आर्थिक असुरक्षा का कोई जतन
बस, बन कर रह गया है एक प्रहसन
प्रतिवाद का, प्रतिरोध का, अपने होने का
लड़के आपस में फुसफुसाते हैं — 'हड़ताल'
दसों दिशाओं में फैल जाता है एक शब्द
हड़ताल, हड़ताल, हड़ताल
बन्द हो जाता है सड़क का काम
रुक जाता है हर चलता हुआ पहिया
नियत सोने के स्थान पर चले जाते हैं लड़के
काम का, खाने का, कम्पनी की मोबाइल सिम का
बहिष्कार, बहिष्कार, बहिष्कार
मालिकों के मालिक, भाईबन्द, कारिन्दे बड़बड़ाते हैं
अँग्रेज़ी में इन सूटधारी लोगों को
कहा जाता है कम्पनी मैनेजमेण्ट
मैनेजमेण्ट पहले गालियों की बौछार करता है
फिर काम की गति मुनाफ़े का हिसाब करता है
किसका कितना चढ़ा है पगार का पैसा
हरामख़ोरों में दो-चार महीने का सब्र नहीं
देशहित में देश के विकास में
काम करने वाली कम्पनी के साथ
कम्पनी का कौर तोड़ने वाले
कम्पनी का खाकर
कम्पनी की थाली में छेद करने वाले
इतना नहीं सोच पाते
कि कहाँ भागा जा रहा है पैसा
इतनी बड़ी कम्पनी में इतने ओछे लोग ?
कुछ लोगों का तिया-पाँचा होता है
हिसाब होता है विदाई होती है
काम और डीजल चोर
ड्रायवर और ऑपरेटरों की छँटाई होती है
कुछ का होता है बिस्तर गोल
मीटिंग पर मीटिंग
दाँत पीस-पीस कर गरियाना होता है
अन्ततः फिर एक आदमी
कम्पनी हित में गिड़गिड़ाता है
टीम भावना का झाड़ता है भाषण
कम्पनी की जर्जर हालत
और देशहित को सबसे ऊपर बताता है
बन्द होती कम्पनियों के क़िस्से सुनाता है
जिसका खाओ उसकी बजाओ
का पूरा सिद्धान्त समझाता है
फिर कम्पनी का गाना बजता है
नियम भले ही न हो
पर मनुष्यता भी तो कोई चीज़ होती है
आफ़त - बीमारी में छुट्टी देती है कम्पनी
खाने-रहने का इन्तज़ाम करती है कम्पनी
कठोर होते जाते नियमों के बावजूद
उतना कठोर नहीं हो पाती कम्पनी
करोड़ों का भुगतान सरकार पर चढ़ा हो
पर चोट पर चोट खाने के बाद भी
कभी आवाज़ नहीं करती कम्पनी
सब सुलट जाने के बाद
कम्पनी ख़ुद भी नहीं कहती इसे हड़ताल
थोड़ा-बहुत सब चलता है ऊँच-नीच
नरम-गरम होता ही रहता है
इसी तरह चलता है यह संसार
लालच से पैदा हुई
सहनशीलता का परिचय देती है कम्पनी ।