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हमको ख़ामोश बनाए रखिए / विजय किशोर मानव

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हमको ख़ामोश बनाए रखिए
सब्र का रोग लगाए रखिए

जो खौलते हैं, उबलने को हैं
बर्फ़ पर उनको लिटाए रखिए

दिन निकलने की कहां है उम्मीद
कम से कम दिल तो जलाए रखिए

पीठ पुश्तों से आपकी ही है
पेट पर चोट बचाए रखिए

आईना लेके निकलिए लेकिन
ख़ास लोगों से बचाए रखिए

सिर्फ़ परवाज़ दीजिए इनको,
काटकर पंख उड़ाए रखिए